एबीएसपी (अखिल भारतीय श्रमिक पार्टी) का उद्देश्य ही यही है कि वो छोटा हो या बड़ा, शिक्षित हो या अशिक्षित सभी को उसके कार्य के अनुरूप हक़ मिलना चाहिये, फिर वो भले ही किसी भी माध्यम (सरकारी/गैर सरकारी/असंगठित क्षेत्र) के जरिये अपनी सेवा प्रदान कर रहा हो, इसका मतलब ये कतई नहीं कि सेवा प्रदाता का माध्यम क्या है।
ये तभी संभव है….
भारत देश एक धर्म निरपेक्ष राष्ट्र है यहाँ सर्व धर्म सम्भाव की परंपरा सदियों से चाली आ रही है, जिसके कारण ही हम गर्व से कहते हैं कि “सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा”। यदि देश के भीतर राजनीतिक पार्टियां जाति, धर्म, नस्ल की राजनीति करना छोड़ दें। और सभी को एक सूत्र में पिरो कर जनहित में कार्य करें तो ऐसा कतई नहीं है कि देश के नागरिक एक दूसरे के प्रति वैमनस्यता रखें, ये हमारे ही नेता अपनी सत्ता और कुर्सी के खातिर ही आपस में भ्रांतियां व वैमनस्यता फैलाते है। जिसका परिणाम है कि देश की आधे से अधिक जनसंख्या शिक्षा के आभाव के कारण सही निर्णय लेने में विफल है, और वो इनके झांसे में आकर अपने मार्ग से भटक जाती है।
जब तक देश का युवा अपनी इन खामियों को दूर नहीं करेगा व एक दूसरे को जागरूक नहीं करेगा वो इनका शिकार होते रहेंगे और अपने हक़ के लिये नहीं इनकी कुर्सी और सत्ता के लिये लड़ते रहेंगे। और ऐसे राजनेता इसका लाभ लेते रहेंगे और इन्हे बेरोजगार व आर्थिक रूप से दयनीय बनाकर घुमाते रहेंगे। समान हक़ पाना तभी संभव है जब देश का युवा जागरूक होगा और इन्हे इनकी असली जगह दिखायेगा।
– जब देश का युवा जागेगा, तब अन्यायी, अत्याचारी भागेगा ॥