कई अनगिनत पहलुओं की ओर गंभीरता से कार्य करने की लिये “अखिल भरतीय श्रमिक पार्टी” प्रतिबद्ध ही नहीं दृणसंकल्पित है-
पर्यावरण वो सभी प्राकृतिक चीजें जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती है पर्यावरण के अंतर्गत आती हैं जैसे – जल, वायु, सूर्य के प्रकाश, अग्नि, वन, पशु, पौधे इत्यादि । ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी ही पूरे ब्रह्मांड में एकमात्र ऐसा गृह है जहाँ जीवन के अस्तित्व के लिए पर्यावरण आवश्यक है । पर्यावरण के बिना यहां हम जीवन का अनुमान नहीं लगा सकते हैं । इसके लिए हमें भविष्य में जीवन की संभावना सुनिश्चित करने के लिए अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित रखना होगा । यह प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी ही नहीं ये प्रत्येक व्यक्ति का दयित्व है ।
पर्यावरण हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है यदि पर्यावरण दूषित होता है तो ये हमारे जीवन में कई समस्यों को खड़ा कर देने में सक्षम है, हम इस समय “ग्लोबल वार्मिंग” के वजह से कई तकलीफों का सामना भी कर रहे हैं, इसका दोषी कोई और नहीं हम ही स्वत: है। अत: इसके लिये सरकार के तंत्र या यंत्र ही काफी नहीं है, इसके लिये देश के प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निर्हवहन करना ही होगा, हमें जल और जंगल दोनों को ही संरक्षित करना ही होगा।
हमें “वाटर हार्वेस्टिंग” पद्धति पर जोर देने की अति-आवश्यकता है यदि समय रह्ते इस दिशा की ओर काम नहीं किया गया या ध्यान नहीं दिया गया तो वो दिन दूर नहीं जब जल आकाल की त्रासदी से रूबरू होना पड़ेगा, इससे बचने का मात्र एक ही उपाय है कि हम जल संचय करने पर जोर दे और जल संरक्षित करने के लिये बूँद-बूँद पानी को बचाने पर जोर दें। “जब जल बचेगा तो जीवन बचेगा” इस स्लोगन को ध्यान में रख कर जल संग्रहित करना होगा, इससे हमें पीने के लिये स्वच्छ पानी व उन्नत फसलों की सिचाई के लिये जल की व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।
साथ ही हमें जल के साथ-साथ जंगल को भी संरक्षित रखने की आवश्यकता है क्योंकि यदि जंगल (वन) नहीं होगे तो हमें कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ेगा जिससे हमारा जन-जीवन काफी प्रभावित होगा जैसे दूषित वायु से संरक्षण की समस्या बारिस के न होने से आकाल (सूखे) की समस्या, भूस्खलन इत्यादि जैसे भीषण त्रासदी से जूझने के लिये हमें तैयार रहना पड़ेगा, यदि हमें ऐसी समस्याओं से दो-चार न होना पड़े तो हमें इस ओर भी गम्भीरत से ध्यान देना ही पड़ेगा, इसके लिये जन भागीदारी बहुत ही अहम हिस्सा है, देश के नागरिकों को सरकार का साथ देना ही होगा।
सूर्य के प्रकाश का भी सद्उपयोग किया जाना एक अहम बिंदु है- हमें देश के भीतर सर्वप्रथम सार्वजनिक स्थानों में सौर ऊर्जा की व्यवस्था को बढ़ावा देने की अति-आवश्यकता है। तथा ऐसे कई स्थान है जहाँ इसकी जरूरत है, साथ ही सुदूर ग्रामीणांचलों में भी इसे प्रमुखता देने की आवश्यकता है।