श्रमिक उत्थान एवम् सामाजिक कल्याणकारी आसोशिएशन के लक्ष्य की पूर्ति हेतु निर्मित राजनीतिक पार्टी/पक्ष/दल। संस्था के नाम से ही इसकी रूपरेखा स्पष्ट हो जाती है कि इसका झुकाव किस ओर है ये किस दिशा को इंगित करती है व इसकी कार्यशैली का विवरण प्रस्तुत करने में जो काफी सहायक है।
10 वर्ष….
दोस्तों ये संस्था ( श्रमिक उत्थान एवं सामाजिक कल्याणकारी असोसिएशन ) सन 2013 से आपके हितों के लिए अग्रणीय होकर कार्यशील, इस संस्था ने जनहित / श्रमिक हित में पुरजोर तरीके से आवाज बुलन्द की है, चाहे वो सन 2014 में मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान गैस सिलेंडरों की संख्या को 12 सिलेन्डरों की जगह 9 सिलेंडर किया जाना व 21 दिन की जगह 30 दिनों में गैस रिफिल करने की अवधि को बढ़ाये जाने का विरोध दर्ज कराना ही नहीं बल्कि वापस पुराने नियम को बहाल करने के लिए सरकार को बाध्य किया और वापस पुराने नियम को बहाल कराने का श्रेय संस्था को ही जाता है ।
गरीबों को ठगने वाले बिल्डडरों जेल….
इतना ही नहीं गरीब घर काम करने वाली महिलाओं व गरीब श्रमिकों को ‘सपनों का घर’ देने के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले बिल्डरों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
नोटबंदी पर याचिका दायर….
वहीं 2016 में मोदी सरकार के नोट बन्दी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
कोरोनाकाल में मनरेगा/श्रमिक ट्रेन / आपदा प्रबंधन समिति पर जोर….
कोरोनाकाल में संस्था के माध्यम से मोदी सरकार को ‘लॉक डाउन’ में प्रवासी मजदूरों और अपनें घरों से दूर फसें लोगों को उनके गृह जनपद तक पहुंचाने के लिए एक सफल योजना का प्लान बना कर देना व ‘श्रमिक ट्रेन’ शुरु करवाना, साथ ही श्रमिकों को ‘मनरेगा‘ के तहत काम देने तक का प्रस्ताव रखना, जिसे लागू भी किया गया, साथ ही इसके अलावा कोरोना वायरस से निपटने के लिए एक ‘आपदा प्रबंधन समिति’ गठित करने के लिए उसका प्रारूप तैयार कर देना व उसे गठित करने के लिए बाध्य करना, जिसे शब्दसः लागू करना इत्यादि अनेक कार्य।
फीस मांफ करने का प्रस्ताव…
वहीं कोरोना काल में प्रभावित अभिभावकों के छात्रों की फीस माफी की मांग को उठाना आदि कार्य भी शमिल हैं ।